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अमेरिका की डार्टमाउथ कॉलेज ने बच्चों के खाने-पीने की आदतों पर आधारित एक अध्ययन किया है. अध्ययन नतीजों में यह दावा किया गया है कि टीवी को ज्यादा समय देने वाले और खाने-पीने से जुड़े Ad देखने वाले बच्चों में मोटापे का खतरा ज्यादा होता है. जबकि अध्ययन में कम टीवी देखने वाले बच्चों में मोटापे की आशंका कम पाई गई है.
अध्ययन रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि टीवी पर Ad देखने के बाद बच्चे अक्सर वही चीजें खाने की जिद करते हैं. ऐसे बच्चों में फास्ट फूड और पैकेट बंद स्नैक्स की खपत ज्यादा पाई गई है.
कम टीवी देखने वाले बच्चों को जहां औसतन 97 कैलोरी लेता पाया गया, वहीं टीवी ज्यादा देखने वाले बच्चों को औसतन 127 कैलोरी. अध्ययन रिपोर्ट में यह चिंता जताई गई है कि पैकेट बंद स्नैक्स पर बच्चों की बढ़ती निर्भरता ने बच्चों में मोटापे का खतरा बढ़ा दिया है.
विशेषज्ञों के अनुसार बाजार की उच्च कैलोरी और सोडियम वाली चीजें खाने के बाद बच्चों की भूख खत्म हो जाती है और वो भोजन नहीं कर पाते. ऐसे में उनके शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. इसका असर उनकी प्रतिरोधक क्षमता पर भी होती है.
हालांकि टीवी देखने के दौरान भूख का एहसास न होने के बावजूद बच्चे चिप्स, फिंगर चिप्स, नमकीन, आदि लगातार खाते रहते हैं. अध्ययनकर्ताओं के अनुसार कैलोरी का इनटेक बढ़ने और फिजिकल एक्टिविटी घटने की वजह से बच्चे मोटापे की चपेट में आ जाते हैं.